Friday 27 August 2021

लड़कियां जैसे पहला प्यार कुमार विश्वास

 वह थी बिजली की कौंध सी

वह थी निश्चल प्रेम सी

वह थी सावन की फुहार 

लड़कियाँ जैसे पहला प्यार 

लड़कियाँ जैसे पहला प्यार।

गीत गाता हो जैसे सावन

मन हो जाता पुलकित पावन 

आये आंगन में बहार 

लड़कियां जैसे पहला प्यार लड़कियां जैसे पहला प्यार।

Thursday 26 August 2021

विदुर नीति

 अर्थ होते हैं त्वरित परिमाण होते हैं 

गीत होते हैं 

स्वयं के साज होते हैं 

है धरा मुर्छित हुई जब

जब म्यान में तलवार है 

दूर कितना है सवेरा 

चहुँ ओर अन्धकार है 

है विदुर बैठा हुआ

धृतराष्ट्र भी गूँगा हुआ

आज अर्जुन के कर्तस में 

ना बचा कोई बाण है।

Tuesday 17 August 2021




















 

मांग की सिंदूर रेखा

 मांग की सिंदूर रेखा, तुमसे ये पूछेगी कल, 

"यूँ मुझे सर पर सजाने का तुम्हें अधिकार क्या है ?"
तुम कहोगी "वो समर्पण, बचपना था" तो कहेगी,
"गर वो सब कुछ बचपना था, तो कहो फिर प्यार क्या है ?"

कल कोई अल्हड अयाना, बावरा झोंका पवन का,
जब तुम्हारे इंगितो पर, गंध भर देगा चमन में,
या कोई चंदा धरा का, रूप का मारा बेचारा,
कल्पना के तार से नक्षत्र जड़ देगा गगन पर,
तब किसी आशीष का आँचल मचल कर पूछ लेगा,
"यह नयन-विनिमय अगर है प्यार तो व्यापार क्या है ?"

कल तुम्हरे गंधवाही-केश, जब उड़ कर किसी की,
आखँ को उल्लास का आकाश कर देंगे कहीं पर,
और सांसों के मलयवाही-झकोरे मुझ सरीखे
नव-तरू को सावनी-वातास कर देगे वहीँ पर,
तब यही बिछुए, महावर, चूड़ियाँ, गजरे कहेंगे,
"इस अमर-सौभाग्य के श्रृंगार का आधार क्या है ?"

कल कोई दिनकर विजय का, सेहरा सर पर सजाये,
जब तुम्हारी सप्तवर्णी छाँह में सोने चलेगा,
या कोई हारा-थका व्याकुल सिपाही जब तुम्हारे,
वक्ष पर धर शीश लेकर हिचकियाँ रोने चलेगा,
तब किसी तन पर कसी दो बांह जुड़ कर पूछ लेगी,
"इस प्रणय जीवन समर में जीत क्या है हार क्या है ?"

मांग की सिंदूर रेखा, तुमसे ये पूछेगी कल,
"यूँ मुझे सर पर सजाने का तुम्हें अधिकार क्या है ?"

Monday 16 August 2021

 जवानी में कई ग़ज़लें अधूरी छूट जाती हैं 

कई ख़्वाहिश तो दिल ही दिल में, पूरी छूट जाती हैं

जुदाई में तो मैं उससे मुकम्मल बात करता हूँ मुलाकातों में सब बातें, अधूरी छूट जाती हैं

पुरानी दोस्ती को इस नयी ताक़त से मत तौलो
ये सम्बंधो की तुरपाई, संयंत्रो से मत खोलो

मेरे लहजे के छेनी से गढ़े जो देवता कल 
मेरे लफ़्ज़ों में मरते थे वो, अब कहते है मत बोलो

जो मैं या तुम समझ ले वो इशारा कर लिया मैंने 
भरोसा बस तुम्हारा था, तुम्हारा कर लिया मैंने

लहर है, हौसला है, रब है, हिम्मत है, दुआएं है
किनारा करने वालो से, किनारा कर लिया मैंने

तालिबान

तालिबान ने यह

कैसी हालत कर दी 

अफगानिस्तान की

बैठे बैठे मृत्यु आ गई 

कीमत कम हो गई अब तो जान की।

फिल्मों जैसा हाल हो गया 

अफगानी नागरिकों का, 

प्लेन से मानव ऐसे गिरते हैं 

जैसे पत्ता हो सूखा सा

हाय रे! दुनिया तेरी चुप्पी 

लानत लानत लानत है 

याद रख की तेरे देश की भी 

हो रही कुछ ऐसी ही हालत है।।

जवानी में कई ग़ज़लें अधूरी छूट जाती हैं 
कई ख़्वाहिश तो दिल ही दिल में, पूरी छूट जाती हैं

जुदाई में तो मैं उससे मुकम्मल बात करता हूँ मुलाकातों में सब बातें, अधूरी छूट जाती हैं

पुरानी दोस्ती को इस नयी ताक़त से मत तौलो
ये सम्बंधो की तुरपाई, संयंत्रो से मत खोलो

मेरे लहजे के छेनी से गढ़े जो देवता कल 
मेरे लफ़्ज़ों में मरते थे वो, अब कहते है मत बोलो

जो मैं या तुम समझ ले वो इशारा कर लिया मैंने 
भरोसा बस तुम्हारा था, तुम्हारा कर लिया मैंने

लहर है, हौसला है, रब है, हिम्मत है, दुआएं है
किनारा करने वालो से, किनारा कर लिया मैंने

Saturday 14 August 2021

होंठों पर गंगा हो

 दौलत ना अता करना मौला, शोहरत ना अता करना मौला

बस इतना अता करना चाहे जन्नत ना अता करना मौला
शम्मा-ए-वतन की लौ पर जब कुर्बान पतंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

बस एक सदा ही सुनें सदा बर्फ़ीली मस्त हवाओं में
बस एक दुआ ही उठे सदा जलते-तपते सेहराओं में
जीते-जी इसका मान रखें
मर कर मर्यादा याद रहे
हम रहें कभी ना रहें मगर
इसकी सज-धज आबाद रहे
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

गीता का ज्ञान सुने ना सुनें, इस धरती का यशगान सुनें
हम सबद-कीर्तन सुन ना सकें भारत मां का जयगान सुनें
परवरदिगार,मैं तेरे द्वार
पर ले पुकार ये आया हूं
चाहे अज़ान ना सुनें कान
पर जय-जय हिन्दुस्तान सुनें
जन-मन में उच्छल देश प्रेम का जलधि तरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो

Saturday 7 August 2021

तुम मिलो तो सही,


दिन संवर जाएंगे तुम मिलो तो सही
जख्म भर जायेगे तुम मिलो तो सही
रास्ते में खड़े हैं दो अधूरे स्थान
एक घर जाएंगे तुम मिलो तो सही

वक्त के क्रूर छल का भरोसा नहीं 
आज जी लो की कल का भरोसा नहीं 
दे रहे हैं वो अगले जन्म की खबर 
जिनको अगले ही पल का भरोसा नहीं 

दूर तू है मगर मैं तेरे पास हूं 
दिल है गर तू तो दिल का मैं एहसास हूं 
प्रार्थना या इबादत या पूजा कोई 
भावना है अगर तू मैं विश्वास हूं

इस अधूरी जवानी का क्या फायदा 
बिन कथानक कहानी का क्या फायदा 
जिसमे धुल कर नजर भी ना पावन बने 
आंख में ऐसे पानी का क्या फायदा

मेरे दिल में जले हर दिए की कसम 
आज तक जो किया उस किए की कसम 
मैं जहां आस ले रोज बैठा रहा 
लौट आओ उसी आसिये की कसम

ताल को ताल की झंकृति तो मिले
रूप को भाव की अनुकृति तो मिले
मैं भी सपनों में आने लगूं आपके
पर मुझे आपकी स्वीकृति तो मिले।।


लखीमपुर कविता

 जिसने कुचला गाड़ी से वह गोदी में बैठा है  सीतापुर की जेल में बंद  एक कांग्रेसी नेता है  ये वर्तमान सरकार मुझे अंग्रेजों की याद दिलाती है जो ...