Wednesday 15 September 2021

गुनाहों का देवता

 अपने गुनाहों को मैं 

हमेशा छुपा लेती हूँ 

शर्म आती है तो नजरों को 

झुका लेती हूँ 

दीवार पर दिखते हैं 

कारनामे जब अपने

आवेश में आकर मैं दीपक को बुझा देती हूँ ।

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