उर्दू मेरी जबान नहीं
उसकी मुझे पहचान नहीं
पर फिर भी प्यारी लगती है
हिंदी जैसी लगती है
इसमें सुंदर शब्दों को
खिलते खेलते लफ्जों को
एक नई पहचान मिली
जैसे भावों को जान मिली
तहजीब सिखाती यह भाषा
जीवन ज्योति की नव आशा
इस बात से कोई अनजान नहीं
उर्दू मेरी जबान नहीं।।
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