Wednesday 15 September 2021

उर्दू पर कविता

 उर्दू मेरी जबान नहीं 

उसकी मुझे पहचान नहीं 

पर फिर भी प्यारी लगती है 

हिंदी जैसी लगती है 

इसमें सुंदर शब्दों को 

खिलते खेलते लफ्जों को

एक नई पहचान मिली

जैसे भावों को जान मिली

तहजीब सिखाती यह भाषा 

जीवन ज्योति की नव आशा

इस बात से कोई अनजान नहीं 

उर्दू मेरी जबान नहीं।।

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