Sunday 2 May 2021

कुमार विश्वास की माँ पर कविता



  1. कुमार विश्वास की कविताएं


हर एक कपड़े का टुकड़ा मां का आंचल हो नहीं सकता




हर एक कपड़े का टुकड़ा माँ का आंचल हो नहीं सकता 
जिसे दुनिया को पाना है वो पागल हो नहीं सकता 

जफ़ाओं की कहानी जब तलक उसमें न शामिल हो 
वफ़ाओं का कोई किस्सा मुकम्मल हो नहीं सकता

किसी के दिल की मायूसी जहां से हो के गुजरी है
हमारी सारी चालाकी वहीं पर खो के गुजरी है

तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है
तुम्हारी सो के गुजरी है, हमारी रो के गुजरी है

कोई पत्थर की मूरत है किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया जो इतनी खूबसूरत है

ज़माना अपनी समझे पर मुझे अपनी खबर ये है

तुझे मेरी जरूरत है मुझे तेरी जरूरत है
-कुमार विश्वास



 

2 comments:

  1. Beautiful poetry by kavyarpan

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  2. बहुत ही सुंदर पंक्तियां लिखी गई है कुमार विश्वास जी द्वारा बहुत ही अच्छे तरीके से गाया गया है

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