Wednesday 15 September 2021

गुलदाऊदी के पुष्प

 घनघोर बादल गरज रहे हैं 

सर्द हवाओं के झोंके 

मन को भिगो रहे हैं 

बीत गई अब तपन भरी रातें 

सर्द दिनकर' सुबह को नमन कर रहे हैं

गुलदाऊदी के पुष्प अब खिलने को हैं 

कनेर के पुष्प अलविदा कहने को हैं 

अब आएंगे गुलाब में काँटों से ज्यादा पुष्प

क्योकिं अब गुलाबी सर्दियाँ आने को हैं।


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