Thursday 26 August 2021

विदुर नीति

 अर्थ होते हैं त्वरित परिमाण होते हैं 

गीत होते हैं 

स्वयं के साज होते हैं 

है धरा मुर्छित हुई जब

जब म्यान में तलवार है 

दूर कितना है सवेरा 

चहुँ ओर अन्धकार है 

है विदुर बैठा हुआ

धृतराष्ट्र भी गूँगा हुआ

आज अर्जुन के कर्तस में 

ना बचा कोई बाण है।

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