अर्थ होते हैं त्वरित परिमाण होते हैं
गीत होते हैं
स्वयं के साज होते हैं
है धरा मुर्छित हुई जब
जब म्यान में तलवार है
दूर कितना है सवेरा
चहुँ ओर अन्धकार है
है विदुर बैठा हुआ
धृतराष्ट्र भी गूँगा हुआ
आज अर्जुन के कर्तस में
ना बचा कोई बाण है।
जिसने कुचला गाड़ी से वह गोदी में बैठा है सीतापुर की जेल में बंद एक कांग्रेसी नेता है ये वर्तमान सरकार मुझे अंग्रेजों की याद दिलाती है जो ...
No comments:
Post a Comment