Monday 6 September 2021

गलियारों में अंधियारे हैं

 गलियारों में अंधियारे हैं 

निश्चित ही सब दुखियारे हैं 

नहीं हैं खाने को कुछ दाने

दूर दूर से सब प्यारे हैं 

कर्तव्यों की बलिवेदी पर 

बैठा है कोई शस्त्र पकड़कर

पर दुनिया की रीत यही है

जो हैं निर्लज्ज वही प्यारे हैं

गलियारों में अंधियारे हैं 

निश्चित ही सब दुखियारे हैं।

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