Friday, 16 July 2021

माँग में सिंदूर

 उदास रातों को जगा कर और 

थोड़ा चांद निचोड़ कर 

दिन में उजाला भर दिया 

पंछियों की आवाज सुनाई दी है 

किसी ने सुबह का 

आगाज़ कर दिया,

यूंँ तो रोज सुनाई देती है शहनाई

उसने मोहब्बत का इजहार करके

मेरी माँग में सिंदूर भर दिया।

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