Thursday 15 July 2021

रोटी

 


"रोटी"

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तप्त अंगारों से नहा कर 

आई हूँ मैं 

ठंडक की आस मिटा कर 

आई हूँ मैं 

बुझा लो अपनी जठराग्नि को

तुम्हारी ही छुधा को शांत करने 

आई हूँ मैं 

मेरे ही कारण बेटे परदेश 

में रहते हैं 

मेरे लिये ही तो दो चूल्हे होते हैं 

मेरे कारण ही रिश्तों में 

दूरियां आती हैं 

मेरे पीछे ही पति पत्नी के रिश्ते में 

खटास आती है 

मेरे ही आगमन पर शरीर में जान आती है 

मैं ही तो हूँ जिसके कारण 

थाली में जान आती है ।।

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