Monday 28 June 2021

उर्मिला की विरह

 


आकाश से एक बूंद गिरी
मचल कर धरा पर
विरहाग्नि में स्तब्ध
उर्मिला को देख कर•••

बोली हे उर्मिला!
तू है दीपक जलाए
उधर इंद्रजीत ने वो दीपक बुझाए।

शक्ति से किया है प्रहार उसने ऐसा
राम जी के पास भी ना कोई अस्त्र ऐसा।

लगता है बुझ जाएगी जीवन ज्योति
तू जिसकी प्रतीक्षा में स्तब्ध बैठी।

उर्मिला फिर बोली ऐ बूंद! जा तू
जरा सतीत्व शक्ति आजमा तू।

यमराज भी प्राण वापस करेंगे
मेरे प्रियतम मुझको वापस मिलेंगे।।

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