Tuesday 29 June 2021

ओ आसमां तुम मुझसे कितना प्यार करते हो

किनारे पर बैठकर क्यों 

नाव का इंतजार करते हो!

छुपाते हो, डरते हो, 

फिर भी प्यार करते हो

नेह की चादर में जिस दिन 

सोए थे तुम संग

हम जान गए थे 

हमसे कितना प्यार करते हो

मुझसे दूरियों को सह नहीं पाते पिघलते हो

बूंद बनके तुम मेरी जमीन पर बरसते हो

लोग कहते हैं बरसात हो रही है 

देख लो 

हम जानते हैं वेदना में तुम 

सिहरते हो

ओ आसमा ! तुम मुझसे कितना

प्यार करते हो

मैं जब भी तुम्हारी वेदना में तप्त  होती हूँ 

पिघल-पिघल के तुम बूंद बनके 

आ मुझ में मिलते हो।।


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