नींद गई रैन गई
सांसें बेचैन भईं
रात गई बात गई
आधी-सी साँस गई
मीत गया गीत गया
आंगन का फूल गया
मेरा सर्वस्व गया
हाय रे! वर्चस्व गया
नहीं गया आज भी
ईर्ष्या और लोभ
मद में हम चूर रहे
कहते हैं लोग।।
जिसने कुचला गाड़ी से वह गोदी में बैठा है सीतापुर की जेल में बंद एक कांग्रेसी नेता है ये वर्तमान सरकार मुझे अंग्रेजों की याद दिलाती है जो ...
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