Sunday, 27 June 2021

सावन पर कविता


तेरे नैनों से प्रेम की 

बरसात हो गई 

लड़ झगड़ के देखो

मेरी रात हो गई 

प्यार में हार गए हम सौ दफ़ा 

क्या करें अब तो जमानत भी जप्त हो गई 

सावन में बौर आया लद गया हर वृक्ष 

मैं प्रेम रूपी कल्पवृक्ष का अवतार हो गई।।

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