तेरे नैनों से प्रेम की
बरसात हो गई
लड़ झगड़ के देखो
मेरी रात हो गई
प्यार में हार गए हम सौ दफ़ा
क्या करें अब तो जमानत भी जप्त हो गई
सावन में बौर आया लद गया हर वृक्ष
मैं प्रेम रूपी कल्पवृक्ष का अवतार हो गई।।
जिसने कुचला गाड़ी से वह गोदी में बैठा है सीतापुर की जेल में बंद एक कांग्रेसी नेता है ये वर्तमान सरकार मुझे अंग्रेजों की याद दिलाती है जो ...
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