Saturday 26 June 2021

गंगा स्नान


मैं फिर से नींद के आगोश में जाना चाहती हूँ 

तेरे नैनो के गंगाजल से गंगा स्नान करना चाहती हूँ 

मैं हूँ पतित, पापों की गगरी हूँ 

अपने गुनाहों को पश्चाताप की चादर में छुपाना चाहती हूँ।।

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