Thursday 9 September 2021

बेवफा तो नहीं

 एक कवि हो कर 

एक कवि का दर्द कहां समझते हो, प्यार करते हो मुझसे पर 

मुझको कहां समझते हो ? 

नींद में लेते हो तुम किसी और का नाम....!

बेवफा तो नहीं पर 

वफादार भी नहीं लगते हो।


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