Sunday 26 September 2021

सहरे में साजन

 कभी फुर्सत मिले तो 

हमको भी तुम याद कर लेना

भले झूँठी ही हो आहें

मगर एक आह भर लेना।


हम भी हैं तुम्हारी राह के 

एक मुरझाए हुए से पुष्प,

जब कभी हो अकेले तुम 

मुझे आवाज़ दे देना।


वो जो आज है तेरा 

वही कल भी तुम्हारा था 

कभी देखा था जो सपना 

वो जन्नत से भी प्यारा था।


आज सजने लगे हो तुम

किसी अनजान की खातिर 

कभी मेरा ये चेहरा 

तुमको कितना प्यारा था।


हमारे पास तो बस गीत हैं 

और आवाज की सरगम

तुम्हारे पास है हमदर्द 

हमारे पास सारे गम।


ये कैसी है परीक्षा और 

ये कैसी घड़ी आई

तुम्हारी शादी में रहूँगी पर 

दुल्हन बन नहीं पाई।😭😭




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