Saturday 11 September 2021

हम तेरे बिन अब रह नहीं सकते

 धरा पर किसका ये बसेरा है

नीर गिरता है ये नया सवेरा है 

अश्क से धुल ​गए हैं जख्म अब तो

चहुँ ओर छाया कैसा अंधेरा है ?

लब को लब नहीं कहा जाता

दर्द अब और नहीं सहा जाता।

बिखरा सा पड़ा है ये सामान सारा

थक गई हूँ अब समेटा नहीं जाता।

कोई तो रोक कर मेरे आँसू 

ये कह दे

हे प्रिये ! अब तुझ बिन रहा नहीं जाता...!!

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