कुछ गज़लों की बात हो
तो कुछ बात बने,
कुछ सपनों की बारात हो
तो कुछ बात बने।
दिन में खिले चांद और
रात में उगे सूरज,
दोपहर गुदगुदाए तो
कुछ बात बने।
हवा के हवाले हों मेरी फिक्रें,
हो मोहब्बत की बरसात
तो कुछ बात बने।
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