Wednesday 30 June 2021

मौकापरस्त जितिन प्रसाद

 जितिन प्रसाद जी को प्रज्ञा शुक्ला की पाती:-


सेवा में,

         प्रिय जितिन चाचा' 

         भगवाधारी 'कांग्रेसी

चाचा श्री, 

    आज तुम्हारी छवि धूमिल हो गई 

    जितिन जी,

    या कि कहूँ मैं छवि ही तो मिट 

    गई जितिन जी।

    कितना तुमको मान मिला करता 

    था राहुल से,

    सोनिया जैसी मां तुमसे छिन गई 

    जितिन जी।

    माना तुम तो बैठ गए थे 

    खाली घर में,

    राजनीति की कुर्सी भी थी छिन 

    गई जितिन जी।

    पर जिसने तुमको पाला-पोसा 

    राजनीति सिखाई,

    उसका ही तुम हाथ छोड़कर गए 

    जितिन जी।

    राजनीति तो विचारधारा की एक 

    लड़ाई है,

    तो फिर तुम कब से मौकापरस्त 

    हो गए जितिन जी।    

                 

          आपकी अपनी शुभचिंतक

          जनकवयित्री:-

          प्रज्ञा शुक्ला' सीतापुर



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