Wednesday 30 June 2021

चौमास की अर्ध गन्ध

मेरे हिस्से की स्वांस पूछती है-

रात्रि में श्यामल ओस से लक्षित 

वह कौन-सा

प्रतिबिंब है जो सुनाई तो देता है,

परंतु दिखाई नहीं देता 

चौमास की अर्धगन्ध से बने 

पुतलों से फूले हुए पलस्तर 

गिरते हैं••

सहनशक्ति भरी रेत खिसकती है खुद-ब-खुद,

विलक्षण शंका के तिलस्मी खोह का

एह शिला द्वार खुलता है अर्र्ररररर.....

सम्भावित स्नेह के विवर में,

शीश उठाये लाल मशाल जलाकर 

द्वेष नामक पुरुष समा जाता है•••

आखिर वह कहाँ जाता है ! !

No comments:

Post a Comment

लखीमपुर कविता

 जिसने कुचला गाड़ी से वह गोदी में बैठा है  सीतापुर की जेल में बंद  एक कांग्रेसी नेता है  ये वर्तमान सरकार मुझे अंग्रेजों की याद दिलाती है जो ...