Tuesday 29 June 2021

श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद

 "श्रद्धेय स्वामी विवेकानंद पर कविता"


उतरा वह जहाज से अपने

रेत में ऐसे लोट गया

जैसे बरसों से बिछड़ा बच्चा हो 

मां की गोद गया 

जब नरेन' से बने विवेकानंद 

तभी जानी दुनिया

वाह थे विश्व विजेता 

उनका लोहा मानी सारी दुनिया

भाई-बहन का संबोधन 

विवेकानंद ने ही आरंभ किया

अमेरिका के सभा-समारोह में 

सबको दंग किया

युवाओं से ही देश बनेगा 

वह ये हरदम कहते थे

मन से बनो संवेदनशील और

तन से चट्टान यह कहते थे

ज्ञानी थे, विज्ञानी थे 

देश भक्ति में लिप्त रहते थे

तभी तो उनको दुनिया वाले 

स्वामी विवेकानंद जी' कहते थे।।



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