Monday, 31 May 2021

माँ है अमृत कलश समान

 मां के आंचल में सिर रखकर 

सारा दुख बाहर आ जाता है 

मां की प्यारी बातों से 

मन मेरा हर्षित हो जाता है 

मां की ममता पीपल की छांव के  जैसी

सारी दुनिया है माँ में बसती 

माँ है अमृत कलश समान 

माँ से ही आती शिशु में जान।।



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