Wednesday 30 June 2021

तेरे सिर पर सज के सहरा

 कुमार विश्वास की कविता:- 


मांग की सिंदूर रेखा" एक प्रेमी के हृदय की वेदना को तो बखूबी व्यक्त करता है। जब उसकी प्रेमिका का विवाह किसी और के साथ हो रहा होता है, तब प्रेमी पर क्या गुजरती है ! यह मांग की सिंदूर रेखा पढ़ कर पता चल जाता है। 

••परंतु जब किसी लड़की के प्रेमी का विवाह हो रहा होता है तो उस लड़की पर क्या गुजरती है यही भाव प्रकट करने की कोशिश की है मैंने। उन लड़कियों की तरफ से उनके हृदय की वेदना को व्यक्त करने की छोटी-सी कोशिश की है।मैं वादा करती हूँ कि बहुत जल्द आपको इसका वीडियो भी उपलब्ध कराऊंगी।


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तेरे सिर पर सजके सहरा 

प्रश्न तुमसे जब करेगा 

यूँ  मुझे मस्तक पर रखकर 

जा रहे किस ओर तुम हो 

तुम कहोगे जा रहा हूँ 

लेने अपनी संगिनी को, 

तो कहेगा रास्ता उधर है 

जा रहे विपरीत तुम हो।

तेरे सिर पर सजके सहरा...।।


वस्ल' में सज कर  तुम्हारी 

यामिनी तुमसे मिलेगी 

मेरे उपवन की कली वो 

प्यार से चुनने लगेगी 

तब कोई अल्हड़-सा भंवरा 

आ के तुमसे यह कहेगा, 

था किया वादा कभी जो 

तोड़ते क्यों आज तुम हो।

तेरे सिर पर सज के सेहरा....।।


जब कोई रुख पर तुम्हारे 

जुल्फ अपनी खोल देगा 

और तेरे वक्ष से सट करके 

लव यू' बोल देगा 

तब करोगे क्या बताओ ?

प्रज्वलित तन हो उठेगा 

मैं कहूंगी बेवफा हो 

या तो फिर लाचार तुम हो।

तेरे सिर पर सज के सहरा...।।


मुझसे ज्यादा प्रेम तुमसे 

करती है कोई तो बताओ !

गर बसा कोई और दिल में 

तो बता दो ना छुपाओ ?

क्या मुझी से प्यार है ???-

जब भी मैं तुमसे पूछ बैठी  

कल भी तुम नि:शब्द थे और 

आज भी नि:शब्द तुम हो।

तेरे सिर पर सज के सेहरा...।।


नैनों में होगी उदासी 

खालीपन होगा ह्रदय में 

बाहों में तो सोई होगी,  

होगी ना पर वो हृदय में 

तब कोई संदेश मेरा 

आ के तुमसे ये कहेगा-

मेरी कविताओं का अब भी 

हे प्रिये! आधार तुम हो।


तेरे सिर पर सज के सेहरा 

प्रश्न तुमसे जब करेगा 

यूँ मुझे उस मस्तक पे रख के 

जा रहे किस ओर तुम हो ?

तुम कहोगे जा रहा हूँ 

लेने अपनी संगिनी को, 

तो कहेगा रास्ता उधर है 

जा रहे विपरीत तुम हो।।


✍______प्रज्ञा शुक्ला 'सीतापुर 

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