Friday, 11 June 2021

आम में बौर आ गया

 एक दिन यूं ही अनजाने में 

खाया था एक आम

चूस कर  उसकी गुठलियां  

फेंकी थी

जमीन सूखी ही थी,

फिर कभी बरसात हुई

वो आम की गुठली 

पृथ्वी के गर्भ में समा गई,

सावन में उसने खोली दो आँखें 

कुछ महीनो में वो

जवान हो गया 

आज वर्षों के बाद देखा जब

तुम्हें तो याद आया

मेरे प्रेम रूपी परिपक्व आम में 

बौर आ गया।।

----✍️✍️By pragya shukla

"अभिधा का प्रयोग"


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