कहीं पर जग लिए तुम बिन
कहीं पर सो लिए तुम बिन
मैं अपने गीत गजलों से उसे पैगाम करता हूं,
उसी की दी हुई दौलत, उसी के नाम करता हूं
हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है, मैं अपना काम करता हूं
किसी के दिल की मायूसी जहाँ से हो के गुजरी हैं
हमारी सारी चालाकी वही पर खो के गुजरी हैं
तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना हैं
तुम्हारी सो के गुजरी है हमारी रो के गुजरी है
डॉ कुमार विश्वास
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